वसंत ऋतु पर संस्कृत में निबंध | Sanskrit Essay On Vasant Ritu

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Sanskrit Essay On Vasant Ritu

यदि आप भी वसंत ऋतु पर संस्कृत में निबंध लिखना और पढ़ना सीखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। क्योंकि इस लेख में आपको Sanskrit Essay On Vasant Ritu के बारे में बहुत ही सरल एवं शुद्ध भाषा में बताया गया है।

इस लेख में दी गई जानकारी आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाली है। इसलिए आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। अक्सर कक्षा 3, 4, 5, 6, 7, 8 इत्यादि में पढ़ने वाले बच्चों को अलग-अलग विषयों पर संस्कृत में निबंध लिखने को कहा जाता है।

इसलिए इस लेख में वसंत ऋतु के अलावा अलग-अलग विषयों पर संस्कृत में निबंध का लिंक दिया गया है । जिस पर आप एक क्लिक करके उसे भी आसानी से पढ़ सकते हैं।

वसंत ऋतु पर संस्कृत निबंध | Sanskrit Essay On Vasant Ritu

वसन्तः रमणीयः ऋतुः अस्ति । इदानीं शीतकालस्य भीषणा शीतलता न भवति । वसन्तः ऋतुराज इत्यपि कथ्यते । वसन्तस्य ऋतुः महतीं सुखं, आनन्दं, सुखं च जनयति । वसन्तः आनन्दस्य सुखस्य च ऋतुः कथ्यते । मन्दं मन्दं वायुः चलति । विहंगाः कूजन्ति विविधैः कुसुमैः वृक्षाः आच्छादिताः भवन्ति । कुसुमेषु भ्रमशः गुञ्जन्ति । धान्येन धरणी परिपूर्णा भवति । कृषकाः प्रसन्नाः दृश्यन्ते । कोकिलाः मधुरं गायन्ति ।। आध्रेषु मज्जर्यः दृश्यन्ते । मञ्जरीभ्यः मधु सवति । वसन्तोत्सवस्य ऋतुः इत्यपि कथ्यते । महाशिवरात्रि, होली, बैसाखी इत्यादयः उत्सवाः अपि अस्मिन् ऋतौ पतन्ति । वसन्तऋतुस्य स्वागतार्थं पक्षिणः मधुरस्वरं गायितुं आरभन्ते। वसन्तकाले न अतितप्तं न अतिशीतं । वसन्तस्य सौन्दर्यं सर्वाधिकं अद्वितीयम् अस्ति।

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मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै MCA का छात्र हूँ.

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