सरस्वती पूजा पर निबंध | Saraswati Puja Essay in Hindi

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Saraswati Puja Essay in Hindi

सरस्वती पूजा पर निबंध : सरस्वती पूजा हर साल वसंत पंचमी को मनाया जाता है,सरस्वती पूजा को ज्यादा टार छात्र गण मनाते है, सरस्वती पूजा के दिन छात्र गण सुबह सुबह नहा-धोकर सरस्वती माता की पूजा की तैयारी करते है।

पूजा सम्पर्ण होने के बाद लोगो के प्रसाद बांटकर माता सरस्वती जैकार करते है और रात में माता सरस्वती का भजन, कृतन होता है आज इस लेख में सरस्वती पूजा पर निबंध आपको उपलब्द कराएँगे।

सरस्वती पूजा पर निबंध

सरस्वती पूजा हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है देवी सरस्वती की पूजा विधा की देवी के रूप में मनाया जाता है  इस पूजा को सभी विद्यार्थी धूम – धाम मानते है इस देवी का पूजा सभी जाती और धर्म के लोग मानते है क्योंकि यह कला एवं संगीत की भी देवी मानी जाती है और यह पर कलाकार गायक और संगीतकार सभी तरह के लोग होते है इसलिए बिना भेद -भाव के सभी लोग इनकी पूजा करते है।

सरस्वती पूजा सामान्य तौर पर जनवरी या फ़रवरी महीने में पड़ता है हिन्दी पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष यह उत्सव माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है इस दिन पूजा करवाने वाले लोग खुश एवं उत्साहित दिखाई पड़ते है वे लोग इसकी तैयारी बड़े ही धूम धाम से मानते है। वे लोग देवी सरस्वती जी की मूर्ति या तस्वीर खरीदते है विभिन्न रंगों एव प्रजातियों के पुष्पों के द्वारा देवी सरस्वती की सजावट की जाती है और पूजा में प्रसाद के तौर मे केला सेव कोन बैर एवं मिठाइयाँ की व्यवस्था प्रदान के लिए की जाती है। 

विधालयों में विधार्थीयों के द्वारा सरस्वती पूजा मनाई जाती है और स्कूल के बच्चे इस पूजा के लिए बहुत जादा  उत्साही रहते है पूजा की तैयारी वे लोग पूजा के दिन से लगभग एक माल पहले से ही शुरू कर देते है आस- पास के लोग से वे लोग चंद भी लेते है और कुछ विधालयों में शिक्षकगण भी इस पूजा में सहयोग करते है एवं विधार्थी इसमे सबकुछ अपने से ही करते है इस पूजा मे वे सब जिम्मेवारीयों को उठान सीखते है।   

कभी-कभी विधार्थी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इस अवसर पर आयोजित करते है शक्षकों एवं अभिभावकों को इसमे सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया जाता है बड़ें लोग उनके आमंत्रण को स्वीकार करके इसमें  सम्मिलित होकर उनके हौसला बढ़ते है। 

अत: सरस्वती पूजा सचमुच एक विशेष पूजा है यह समाज के सभी वर्गों द्वारा मनाया जाता है शिक्षक विधार्थी और अभी तरह के कलाप्रेमी अपने बुद्धि विकाश एवं उन्नति के लिए सरस्वती की पूजा करते है देवी सरस्वती की कृपा से हमें बुद्धिमान एवं सभ्य बनती है।

Saraswati Puja Essay in Hindi (200 Words)

सरस्वती विधा और संगीत की देवी है इसीलिए यह पूजा विधार्थी एवं कलाकारों द्वारा बड़े उत्साह से मनाई जाती है दुर्गा पूजा के बाद पश्चिम बंगाल में सरस्वती पूजा का स्थान आता है जो सबसे अधिक धूम धाम से मनाया जाता है सरस्वती पूजा माघ की शुक्ल पंचमी मनाई जाती है इसी पूजा का दूसरा नाम है श्री पंचमी या वसंत पंचमी भी है।

कई दिन फल से ही विधार्थियों ने पूजा को तैयारी में लग जाते है और घर घर से चंदा माग कर इकठ्ठा करते है एवं उससे सजावट के समान लाकर उसे सजाते है पूजा के दिन लोगों ने तरह तरह कपड़े या पोशाके पहनते है कलम दवात एवं पुस्तक सरस्वती देवी के चरणो में रखा जाता है।

पूजा के स्थान पर फूल एवं पत्तियों सजाया जाता है तथा समय के साथ पंडित जी को पूजा पर बैठाया जाता है पूजा खत्म होने पर प्रसाद बाट दिया जाता हैऔर सभी विद्यार्थी अबीर का टीका लगाते है आज के दिन विधार्थियों को खुशी का ठिकाना नहीं रहता है।

दूसरे या तीसरे दिन विसर्जन किया जाता है और साथ ही जुलूस निकाल कर किसी नदी या तालाब में सावधानीपूर्वक विराजित कर दिया जाता है।

सरस्वती पूजा पर निबंध (250 शब्द)

परिचय

सरस्वती माता को विद्या और संगीत की देवी कहा जाता है इसी कारण सरस्वती पूजा को अधिक्तर छात्र व कलाकारों द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाता है दुर्गा पूजा के बाद पर्क्षिम बंगाल में सरस्वती पूजा का स्थान आता है जो सबसे ज्यादा धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। 

समय

सरस्वती पूजा माघ के शूल पंचमी को मनाई जाती है यानि इस पूजा को साल के जनवरी या फ़रवरी माह में मनाया जाता है सरस्वती पूजा का दूसरा नाम पंचमी या वसंत पंचमी कहाँ जाता है। 

पूजा की तैयारी

पूजा के 10 से 15 दिन पहले से लोग पूजा की तैयारी में लग जाते है, ज्यादातर देहात इलाको में कुछ दिन पहले से ही समिति के लोग घर घर चंदा मांगते है चंदा में मिले पैसे से तरह तरह के आकर्षित पंडाल बनाते है व माता सरस्वती की मूर्ति खरीदकर सजाते है पूजा के दिन लोग नाहा-धोकर नए नए पोषक पहनकर माता सरस्वती की पूजा करते है और माता की चरणों के पास पुस्तक, कलम, दवात, आदि रखे जाते है। 

पूजा का वर्णन

पूजा का स्थान पर फूल और पतियों से सजाया जाता है तथा समय पर पूरिहित पूजा पर बैठते है पूजा समाप्त होने के बाद आरती व प्रसाद वितरित किया जाता है सभी छात्रगण अबीर, रोड़ी का टिका लगाते है इस दिन सभी लोग काफी खुश रहते है पूजा के दिन रात में नाच-गान होता है बच्चो का आनंद का ठिकाना नहीं रहता है। 

विसर्जन

दुसरे या तीसरे दिन प्रतिमा जुलुस के साथ पुरे शहर या गाँव में घुमाया जाता है बाद में नदी या तालाब में सावधानीप्रूवक विसर्जित कर दी जाती है इसमें छात्रगण बड़े उत्साह के साथ भाग लेते है। 

सरस्वती पूजा पर निबंध (300 शब्द)

सरस्वती पूजा वसंत पंचमी के मौके पर मनाने वाला यक पर्व है इसलिए हर साल सरस्वती पूजा बसंत पंचमी के दिन ही की जाती है माँ सरस्वती को विधा की देवी मन जाता है बसंत पंचमी के दिन हर साल स्कूलों और कालेजों में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है इस दिन पीले कपड़े पहनें जाते है और माता की मूर्ति की पूजा की जाती है।

वैसे बसंत पंचमी के अलावा नवदुर्गा में भी मां सरस्वती की पूजा का खास महत्व है यह माघ महीने के शुक्ल पंचमी को आती है मत सरस्वती जी की पूजा वंदना की जाती है और मत सरस्वती की मूर्ति स्थापित की जाती है और सभी विधार्थी और शिक्षक मिलकर माता सरस्वती की वंदना आरती करते है मां सरस्वती विधा की देवी है इसलिए विधार्थी के लिए यह पूजा विशेष रूप से की जाती है। 

इस पूजा में सभी विधार्थी उपस्थित होते है इस दिन माता सरस्वती का शृंगार किया जाता है और पास में दिए भी जलाए जाते है पूजा के एक दो दिन बाद ही मत सरस्वती की मूर्ति को विसर्जित कर दई जाती है इस विसर्जन में विधार्थी व श्रद्धालु विशेष रूप से भाग लेते है और माता के मूर्ति को विसर्जन करते है। 

मां सरस्वती जी की पूजा का विशेष महत्व है हम सभी जानते है की सरस्वती माता विधा की देवी होती है कहते है की जो माता सरस्वती की पूजा करता है उनकी और उनकी आराधना करता है उसका पढ़ाई में बहुत अच्छी तरह से मन लगता है और तो और जीवन मई आगे बढ़ते है इसलिए विधार्थीयों के लिए सरस्वती माता की आराधना करनी चाहिए उनकी पूजा करनी चाहिए। 

मां सरस्वती देवी के अनेक नाम है भारती गिर, महाश्रेता, शारधा और विध्यवासिनी जैसे अलग अलग नामों से मां सरस्वती को बुलाया जाता है मां सरस्वती सभी लोगों के लिए एक उत्साह लेकर आती है सभी लोग इस त्योहार को बहुत खुशी से मानते है हर व्यक्ति और खासकर बच्चे इस त्योहार का खूब आनंद लेते है।  

Saraswati Puja Par Nibandh 20 Line

  1. सरस्वती पूजा हिन्दुओ पूर्व है।  
  2. इस दिन सरस्वती माँ की पूजा की जाती है।  
  3. सरस्वती माँ की पूजा विधार्थीयो द्वारा मनाया जाता है।  
  4. इसको विधा की केवी भी कहा जाता है।  
  5. यह हर साल माघ महीने के पंचमी दिन को मनाया जाता है।  
  6. यह भारत के सबसे बड़े त्योहार में से एक है।  
  7. सरस्वती विधा और संगीत की देवी है।  
  8. यह मुख्य रूप से  छात्रों का त्योहार है।  
  9. सरस्वती पूजा भारत के साथ साथ बांगलादेश और नेपाल में भी किया जाता है।  
  10. देवी सरस्वती की सवारी मोर है।  
  11. इस दिन अभी लोग मंदिरों में सरस्वती मां की पूजा करते है।  
  12. मंदिरों में जल सफेद और पीले रंग फूल आदि चढ़ाई जाती है। 
  13.  सरस्वती पूजा में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापूत किया जाता है। 
  14. देवी सरस्वती की मूर्ति को विधार्थी फूलों से सजाते है एवं उनकी पूजा करते है।  
  15. विधार्थी विवेक और ज्ञान के लिए देवी से प्रार्थना करते है। 
  16.  इस पर्व पर सभी लोग माता सरस्वती की आराधना करते है।  
  17. यह त्योहार हमरे मन में एक नई चेतन और उमंग भर देते है।  
  18. इस पर्व को सभी लोग बड़े ही आनंद और उत्साह से मानते है।  
  19. सभी लोग सरस्वती मां से आशीर्वद मांगते है की उन्हें जीवन में सुखी एवं समृद्धि मिले।   
  20. सरसवती पूजा के के दिन बच्चे रात को नाच-गान बड़े जोर शोर से करते है।

FAQ

Q : 2024 में सरस्वती पूजा कब है?

Ans : 14 फ़रवरी को

Q : 2023 में सरस्वती पूजा कब था?

Ans : 26 जनवरी को

Q : 2023 में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त कब है?

Ans : हिंदू धर्म के ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सरस्वती पूजा व वसंत पंचमी का संपूर्ण दिन शुभ मुहूर्त होता है, आप इस दिन किसी भी समय सरस्वती पूजा कर सकतें हैं, लेकिन सुबह 6 बजे से लेकर 12 बजे तक पूजा करना शुभ माना जाता है

कुछ विशेष निबंध

 

मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै MCA का छात्र हूँ.

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