School Prayer in Hindi | स्कूल प्रार्थना हिंदी में

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School Prayer in Hindi

School Prayer in Hindi : देश के हर विद्यालय सुबह सुबह प्रार्थना करवाई जाती है इसका एक मात्र मसकद है की छात्रो को भगवान के प्रति कृतज्ञ होना, प्राथना करने वालो को प्राथना करने के भगवन से लागव रहता है और एक नई उर्जा शक्ति मिलती है जिससे पढाई में मन लगता है।

प्राथना करने से ईश्वर के ऊपर हमारा विश्वास बना रहता है हम हमेशा सच्चाई और अच्छाई के रस्ते में चलते है इसलिए हर स्कुल में सुबह सुबह क्लास लगने से पहले प्राथना किया जाता है जिसमे स्कूल के छात्र से लेकर शिक्षकगण में सामिल होते है।

यहाँ इस लेख में हम आपके लिए 21+ School Prayer in Hindi लिखे है जो अधिक्तर स्कूलों सुनने को मिलता है।

Table of Contents

School Prayer in Hindi

इस लेख में आपको 21+ एक से बढ़कर एक School Prayer in Hindi उपलध कराये है जो आपको काफी पसंद आयेंगे।

इतनी शक्ति हमें देगा दाता [1]

इतनी शक्ति हमें देगा दाता,

मन का विश्वास, कमजोर हो ना।

हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे,

भूलकर भी कोई भूल हो ना।

दूर अज्ञान के हों अँधेरे,

तू हमें ज्ञान की रौशनी दे।

हर बुराई से बचते रहें हम,

चोट जितनी बड़ी जिन्दगी दे॥

बैर हो न किसी का किसी से,

भावना मन में बदले की हो ना,

हम चले नेक रस्ते पे, हमसे

भूलकर भी कोई भूल हो ना॥

हम न सोचें हमें क्या मिला है,

हम ये सोचें किया क्‍या है अर्पण

फूल खुशियों के बाँटे सभी में,

सबका जीवन भी बन जाये मथुबन।

अपनी करुणा का जल तू बहा दे,

करदे पावन हर एक मन का कोना,

हम चले नेक रस्ते पे, हमसे

भूलकर भी कोई भूल हो ना॥

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता [2]

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

ॐ सहनाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवाव है।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषाव है।

असतो मा सदगमय ॥
तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥
मृत्योर्मामृतम् गमय ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।।

तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो [3]

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ,
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ,
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ,
कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥

तुम ही हो साथी, तुम ही सहारे ,
कोई ना अपना सिवा तुम्हारे ॥

तुम ही हो नईया, तुम ही खिवईया ,
तुम ही हो बंधू, सखा तुम ही हो ॥

तुम ही हो माता, पिता तुम्ही हो ,
तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ,
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥

जो खिल सके ना वो फूल हम हैं ,
तुम्हारे चरणों की धूल हम हैं ॥

दया की दृष्टि, सदा ही रखना ,
तुम ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

तुम्ही हो माता, पिता तुम्ही हो ,
तुम्ही हो बंधू, सखा तुम्ही हो ॥

ए मालिक तेरे बन्दे हम…[4]

ऐ मालिक तेरे बंदे हम ,

ऐसे हो हमारे करम ॥

नेकी पर चलें और बदी से टलें ,

ताकि हंसते हुये निकले दम ॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम…

जब ज़ुल्मों का हो सामना ॥

तब तू ही हमें थामना ,

वो बुराई करें हम भलाई भरें ॥

नहीं बदले की हो कामना ,

बढ़ उठे प्यार का हर कदम ॥

और मिटे बैर का ये भरम ,

नेकी पर चलें ये और बदी से टलें ,

ताकि हंसते हुये निकले दम ॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम….

ये अंधेरा घना छा रहा ॥

तेरा इनसान घबरा रहा ,

हो रहा बेखबर कुछ न आता नज़र ॥

सुख का सूरज छिपा जा रहा ,

तेरी रोशनी में वो दम ॥

जो अमावस को कर दे पूनम ,

नेकी पर चलें और बदी से टलें ॥

ताकि हंसते हुये निकले दम ,

ऐ मालिक तेरे बंदे हम….

बड़ा कमज़ोर है आदमी ॥

अभी लाखों हैं इसमें कमीं ,

पर तू जो खड़ा है दयालू बड़ा ॥

तेरी कृपा से धरती थमी ,

दिया तूने जो हमको जनम ॥

तू ही झेलेगा हम सबके ग़म ,

नेकी पर चलें और बदी से टलें ॥

ताकि हंसते हुये निकले दम ,

ऐ मालिक तेरे बंदे हम….

माँ सरस्वती वरदान दो…[5]

माँ सरस्वती वरदान दो ,
माँ सरस्वती वरदान दो ॥
मुझको नवल उत्थान दो ,
यह विश्व ही परिवार हो ॥
सब के लिए सम प्यार हो ,
आदर्श, लक्ष्य महान हो ॥
माँ सरस्वती वरदान दो ,

मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो ॥
मेरा महान चरित्र हो ,
विद्या विनय वरदान दो ॥
माँ सरस्वती वरदान दो ,

माँ शारदे हँसासिनी ,
वागीश वीणा वादिनी ॥
मुझको अगम स्वर ज्ञान दो ,
माँ सरस्वती, वरदान दो ॥
मुझको नवल उत्थान दो ,
उत्थान दो ॥
उत्थान दो…

हे शारदे माँ… [6]

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ,

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ,
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥

तू स्वर की देवी, ये संगीत तुझसे ,
हर शब्द तेरा है, हर गीत तुझसे ॥

हम है अकेले, हम है अधूरे ,
तेरी शरण हम, हमें प्यार दे माँ ॥

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥

मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी ,
वेदों की भाषा, पुराणों की बानी ॥

हम भी तो समझे, हम भी तो जाने ,
विद्या का हमको, अधिकार दे माँ ॥

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥

तू श्वेतवर्णी, कमल पे विराजे ,
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे ॥

मन से हमारे मिटाके अँधेरे ,
हमको उजालों का संसार दे माँ ॥

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
अज्ञानता से हमें तारदे माँ ॥

हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ,
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ ॥

सुख के सब साथी… [7]

सुख के सब साधी, दुःख में न कोई ,
मेरे राम, मेरे राम ॥
तेरा नाम इक सांचा, दूजा न कोई ,

१.जीवन आनी-जानी छाया ॥
झूठी माया झूठी काया ,
फिर काहे को सारी उमरिया ॥
पाप की गठरी ढोए ,

२.ना कुछ तेरा जा कुछ मेरा ॥
ये जय-जोगी-वाला फेरा ,
राजा हो या रंक सभी का ॥
अंत एक सा होए ,

३.बाहर की तू माटी फांके ॥
मन के भीतर क्यों ना झाँके ,
उजले तन पर मान किया ॥
और मन की मैल ना धोई…

वीणा वादिनि विमल वाणी दे… [8]

वीणा वादिनि विमल वाणी दे ,
वीणा वादिनि विमल वाणीदे, विद्या दायिनि वन्दन ॥
जय विद्या दायिनि वन्दन ,

अरुण लोक से वरुण लहर तक गुंजारित तव वाणी ॥
ब्रह्मा विेष्णु रूद्र इन्द्रदिक, करते सब अभिनन्दन ,
जय विद्या दायिनि वन्दन ॥

तेरा भव्य भण्डार भारती, है अद्भुत गतिवारा ,
ज्यों खर्चे त्यों बढे निरन्तर, है सबका अवलम्बन ॥
जय विद्या दायिनि वन्दन ,

नत मस्तक हम माँग रहे, विद्या धन कल्याणी ॥
वरद हस्त रख हम पर जननी रहे न जग में क्रन्दन ,
जय विद्या दायिनि वन्दन ॥

हम को मन की शक्ति देना… [9]

हम को मन की शक्ति देगा, मन विजय करें ,
दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें ॥

भेदभाव अपने दिल से साफ कर सकें ,
दोस्तों से भूल हो तो माफ कर सकें ॥
झूठ से बचे रहें, सच का दम भरें ,
दूसरों की जय से पहले खुद को जय करें ॥

मुश्किलें पड़ें तो हम पे इतना कर्म कर ,
साथ दें तो धर्म का, मरें तो धर्म पर ॥
खुद पे हौसला रहे बदी से न डरे ,
दूसरों की जय से पहले छुद को जय करें ॥

माँ शारदे कहाँ तू… [10]

माँ शारदे कहाँ तू ,
वीणा बजा रही हैं ॥
किस मंजु ज्ञान से तू ,
जग को लुभा रही हैं ॥

किस भाव में भवानी ,
तू मग्न हो रही है ॥
विनती नहीं हमारी ,
क्यों माँ तू सुन रही है ॥ ..x2
हम दीन बाल कब से ,
विनती सुना रहें हैं ॥
चरणों में तेरे माता ,
हम सर झुका रहे हैं ॥
हम सर झुका रहे हैं ,
मां शारदे कहाँ तू, वीणा…

अज्ञान तुम हमारा ,
माँ शीघ्र दूर कर दो ॥
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में ,
माँ शारदे तू भर दे ॥ ..x2
बालक सभी जगत के ,
सूत मात हैं तुम्हारे ॥
प्राणों से प्रिय है हम ,
तेरे पुत्र सब दुलारे ॥
तेरे पुत्र सब दुलारे ,
॥ मां शारदे कहाँ तू, वीणा…

हमको दयामयी तू ,
ले गोद में पढ़ाओ ॥
अमृत जगत का हमको ,
माँ शारदे पिलाओ ॥ ..x2
मातेश्वरी तू सुन ले ,
सुंदर विनय हमारी ॥
करके दया तू हर ले ,
बाधा जगत की सारी ॥
बाधा जगत की सारी ,
॥ मां शारदे कहाँ तू, वीणा…

माँ शारदे कहाँ तू ,
वीणा बजा रही हैं ॥
किस मंजु ज्ञान से तू ,
जग को लुभा रही हैं ॥

दया कर दान भक्ति… [11]

दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना ,
दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना ॥
दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना ,
हमारे ध्यान में आओ, प्रभु आँखों में बस जाओ ॥
अँधेरे दिल में आकर के, परम ज्योति जगा देना ,
दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना ॥

हमारा कर्म हो सेवा, हमारा धर्म हो सेवा ,
सदा ईमान हो सेवा, व सेवक चर बना देना ॥
दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना ,

बहादो प्रेम की गंगा दिलो में प्रेम का सागर ॥
हमे आपस में मिलजुल के प्रभो रहना सिखा देना ,
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना ॥
वतन पर जाँ फिदा करना, प्रभो हमको सिखा देना ,
दया कर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना ॥

हमारी मुट्ठी में आकाश सारा… [12]

हमारी ही मुद्ठी में आकाश सारा ,
जब भी खुलेगी चमकेगा तारा ॥
कभी न ढले जो, वो ही सितारा ,
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ॥

हथेली पे रेखाएँ हैं सब अधूरी ,
किसने लिखी हैं, नहीं जानना है ॥
सुलझाने उनको, ना आएगा कोई, समझना है ,
उनको ये अपना करम है ॥
अपने करम से दिखाना है सबको ,
खुदका पनपना, उभरना है खुदको ॥
अँधेरा मिटाए जो नन्हा शरारा ,
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ॥

हमारे पीछे कोई आए ना आए ,
हमें ही तो पहले पहुँचना वहाँ है ॥
जिन पर है चलना नई पीढ़ियों को ,
उन्हीं रास्तों को बनाना हमें है ॥
जो भी साथ आएँ उन्हें साध ले लें ,
अगर ना कोई साध दे तो अकेले ॥
सुलगा के खुद को मिटा ले अँधेरा ,
दिशा जिससे पहचाने संसार सारा ॥

ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता… [13]

ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ,
तेरी कोख स्वर्ग सम, तेरी गोद स्वर्ग सम सुख की है दाता ॥
ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ,

उत्तर दिशा हिमालय शुभ्र मुकुट धारी ॥
गंगा जल अमृत सम मानव हितकारी ,
ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ॥

दक्षिण जलधि अपर्मित वक्षस्थल तेरा ,
चारौ धाम अनौखे गुण गाते तेरा ॥
ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ,

पूरब की पुरवैया सौना बरसाती ॥
पश्चिम की लालामी हम सबको भाती ,
ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ॥

वेद पुराण ग्रंथ सब अनुपम कृति तेरी ,
गीता जीवन दर्शन विश्व ज्योति फेरी ॥
ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ,

तन, मन, तुझे समर्पित, धन तो है माया ॥
माँ का ऋण दुनिया में कौन चुका पाया ,
ऊँ जय भारत माता जय जय धरती माता ॥

हर देश में तू, हर भेष में तू… [14]

हर देश में तू, हर भेष में तू ,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ॥
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ,
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा ॥
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ,

सागर से उठा बादल बनके ॥
बादल से फटा जल हो करके ,
फिर नहर बना नदियाँ गहरी ॥
तेरे भिन्न प्रकार, तू एक ही है ,

हर देश में तू, हर भेष में तू ॥
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ॥

चींटी से भी अणु-परमाणु बना ,
सब जीव-जगत् का रूप लिया ॥
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना ,
सौंदर्य तेरा, तू एक ही है ॥

हर देश में तू, हर भेष में तू ,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ॥
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ,

यह दिव्य दिखाया है जिसने ॥
वह है गुरुदेव की पूर्ण दया ,
तुकड़या कहे कोई न और दिखा ॥
बस मैं अरु तू सब एकही है ,

हर देश में तू, हर भेष में तू ॥
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है ॥
तेरी रंगभूमि, यह विश्व भरा ,
सब खेल में, मेल में तू ही तो है ॥

माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं… [15]

माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ,
सौगन्ध, शपथ लेकर हम सब अपना निश्चय दुहराते हैं ॥

शिक्षा मानव की पूँजी है, व्यक्तित्व इसी से बनता है ,
विद्या मन्दिर में आकर हम सब जीवन सफल बनाते हैं ॥

माँ-बाप, सखा परिवार सभी , संसार चक्र के पोषक हैं ,
हम बालक नत-मस्तक होकर उनका अहसान जताते हैं॥

माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं,
शिक्षक समाज का दर्पण है निर्माण राष्ट्र का करता है ॥
शत – शत प्रणाम, गुरु नमस्कार आशीष आपका पाते हैं ,
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ॥

क्या धर्म, जाति क्या वर्ण सभी ये तो समाज की रचना है ,
हम मानव है केवल मानव, बच्चे भगवान कहाते हैं ॥
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ,

भारत में हमने जन्म लिया, भारत ही धर्म हमारा है ॥
तन, मन, धन सब न्यौछावर कर हम ‘वन्देमातरम्‌’ गाते हैं ,
माँ सरस्वती के चरणों में हम अपना शीष झुकाते हैं ॥

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु… [16]

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ॥
सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ॥

शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम ,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ॥
शुद्ध भाव से तेरा ध्यान लगाएं हम ,
विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ॥
हाँ, विद्या का वरदान तुम्हीं से पाए हम ,
तुम्ही से है आगाज़ तुम्हीं से अंजाम प्रभु ॥
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ,

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ॥
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ,

गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम ॥
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ,
गुरुओं का सत्कार कभी न भूले हम ॥
इतना बनें महान गगन को छु ले हम ,
हाँ, इतना बनें महान गगन को छु ले हम ॥
तुम्हीं से है हर सुबह तुम्ही से शाम प्रभु ,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु ॥

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ॥

सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु ,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ॥
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ,
करते हैं हम शुरु आज का काम प्रभु ॥

चंदन है इस देश की माटी… [17]

चंदन है इस देश की माटी ,
तपोभूमि हर ग्राम है ॥
हर बाला देवी की प्रतिमा ,
बच्चा बच्चा राम है ॥

हर शरीर मंदिर सा पावन ,
हर मानव उपकारी है ॥
जहॉं सिंह बन गये खिलौने ,
गाय जहॉं मॉं प्यारी है ॥
जहॉं सवेरा शंख बजाता ,
लोरी गाती शाम है ॥

हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥

जहॉं कर्म से भाग्य बदलता,
श्रम निष्ठा कल्याणी है ।
त्याग और तप की गाथाऍं,
गाती कवि की वाणी है ।
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा,
निर्मल है अविराम है ॥

हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥

जिस के सैनिक समरभूमि मे,
गाया करते गीता है ।
जहॉं खेत मे हल के नीचे,
खेला करती सीता है ।
जीवन का आदर्श जहॉं पर,
परमेश्वर का धाम है ॥

हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥

चंदन है इस देश की माटी,
तपोभूमि हर ग्राम है ।
हर बाला देवी की प्रतिमा,
बच्चा बच्चा राम है ॥

हे जग त्राता विश्व विधाता…[18]

त्राता: का अर्थ, जो त्राण करता हो, जस,हमारी रक्षा करने वाला व्यक्ति,

हे जग त्राता विश्व विधाता ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥

प्रेम के सिन्धु, दीन के बन्धु ,
दु:ख दारिद्र विनाशन हे ॥
हे जग त्राता विश्व विधाता ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥

नित्य अखंड अनंन्त अनादि ,
पूरण ब्रह्म सनातन हे ॥
हे जग त्राता विश्व विधाता ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥

जग आश्रय जग-पति जग-वन्दन ,
अनुपम अलख निरंजन हे ॥
हे जग त्राता विश्व विधाता ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥

प्राण सखा त्रिभुवन प्रति-पालक ,
जीवन के अवलंबन हे ॥
हे जग त्राता विश्व विधाता ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥

हे जग त्राता विश्व विधाता ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥
हे सुख शांति निकेतन हे ,
हे सुख शांति निकेतन हे ॥

दयालु नाम है तेरा… [19]

दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ,
हरि सब तुमको कहते हैं हमारा दुःख हर लीजे ॥
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ,

विषय और भोग में निशिदिन फँसा रहता है मन मूरख ॥
इसे अब ज्ञान देकर सत्य मारग पर लगा दीजे ,
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ॥

तुम्हारी भूल कर महिमा, किए अपराध अति भारी ,
शरण अज्ञान है तेरे, क्षमा अपराध सब कीजे ॥
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ,

तुम्हीं माता-पिता जग के, तुम्हीं हो नाथ धन विद्या ॥
तुम्हीं हो मित्र सब जग के, दयाकर भक्तिवर दीजे ,
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ॥

न चाहूँ राज-धन-वैभव न है कुछ कामना मेरी ,
रख सकूँ शुद्ध सेवाभाव, शुभ वरदान ये दीजे ॥
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे ॥

तुम अन्तर्मन के भावों को जानते हो सदा स्वामी ,
यही जीने की अभिलाषा, चरणरज दास को दीजे ॥
दयालु नाम है तेरा प्रभु हम पर दया कीजे…

तू ही राम है, तू रहीम है… [20]

तू ही राम है, तू रहीम है ,
तू करीम कृष्ण खुदा हुआ ॥
तू ही राम है तू रहीम हैं ,
तू करीम कृष्ण खुदा हुआ ॥
तू ही वाहे गुरु तू यशु मसीह ,
हर नाम में तू समा रहा ॥
तू ही राम है, तू रहीम है ,

तेरी जात पाक कुरान में ॥
तेरा दरश वेद पुराण में ,
तेरी जात पाक कुरान में ॥
तेरा दर्श वेद पुराण मैं ,
गुरु ग्रन्थ जी के बख़ान में ॥
तू प्रकाश अपना दिखा रहा ,
तू ही राम है, तू रहीम है ॥
तू करीम कृष्ण खुदा हुआ ,
तू ही राम है, तू रहीम है ॥

अरदास है कहीं कीर्तन ,
कहीं राम धुन कहीं आवहन ॥
अरदास है कहीं कीर्तन ,
कहीं राम धुन कहीं आव्हन ॥
विधि भेद का है ये सब रचन ,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा ॥
तू ही राम है, तू रहीम है ,
तू करीम कृष्ण खुदा हुआ ॥
तू ही राम है, तू रहीम है…

तू ही राम है, तू रहीम है… [21]

ओम् सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

ओम् असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमया।
मृत्योर्मामृतं गमय॥

ओम् शान्तिः, शान्तिः, शान्तिः॥

(अर्थात)

इस प्रार्थना से हम सभी को सुखी बनाए रखना।
सभी को स्वस्थ रखना।
सभी को भद्र और अच्छे काम करने की शक्ति प्रदान करना।
किसी को भी दुख का सामना न करना॥

हमें असत्य से सत्य की ओर ले जाना।
अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना।
मृत्यु से अमृतत्व की ओर ले जाना॥

ओम्, शांति, शांति, शांति॥

कुछ प्रसिद्ध कविताएँ :-

मै निशांत सिंह राजपूत इस ब्लॉग का लेखक और संस्थापक हूँ, अगर मै अपनी योग्यता की बात करू तो मै MCA का छात्र हूँ.

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