रहिमन धागा प्रेम का : रहीम एक प्रसिद्ध दोहे में से रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय यह दोहा काफी प्रसिद्ध है। बहुत सारे लोग इस दोहे को पूरा पढना चाहते है साथ ही दोहे का अर्थ जानना चाहते है।
तो आइये आपको यहाँ हिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय रहीम के इस दोहे को पढ़ते है।
रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय – रहीम के दोहे
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय।
टूटे से फिर न मिले, मिले गाँठ परिजाय॥
अर्थात : रहीम का कहना है कि प्रेम का संबंध बहुत छोटा होता है। इसे तोड़ना या खत्म करना उचित नहीं है। प्रेम का बंधन, या बंधन, एक बार टूट जाता है, फिर इसे फिर से जोड़ना कठिन होता है, और अगर ऐसा होता है भी तो टूटे हुए बंधनों (संबंधों) के बीच गाँठ पड़ जाती है।
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