
ईद पर निबंध (200 शब्दों में)
ईद मुसलमान समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है। ईद-उल-फिप्त विश्वभर में मुस्लिम लोग बड़ी श्रद्धया के साथ मनाते है, यह त्योहार अपने साथ ढेर सारी खुशीमों लेकर जाती है, का महील होता है। खुशी का फो मनाने हर तरफ इस त्योहार के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग के साथ-साथ बाकी सभी समुदाय से जुड़ जाते हैं। के लोग भी इस खुशी से ईद रमजान के पुरे तीस रोजे के बाद आती है।
रमजान का महीना सारे मुसलमानों के लिए एक पवित्र महीना में रात्री मुस्लिम होता है। इस महीना में समुदाय के लोग रमजान की रोजा रखते है, नमाज अदा करते है, फुरकान शरीफ की तेलापत करते है रमजान के जब पुरे तीस रोजे हो जाते है, तब ईद की चाँद दिखाई देती है। उसके बाद अगले दिन ईद की नमाज अदा करते है, और एक- दूसरे को ईद की मुबारक घाट देते हैं और आपस में एक-दूसरे से गले मिलते इस दिन है।
इस सब लोग अल्लाह से अपने रंगते हैं और उनका गुनाहों की माँफी मांगते रते है, इसके बाद सप शुक्रिया अदा करते -दूसरे फै लोग एक- खाते है। ईद घर जाकर सेतुईगाँ का त्यौहार सबको एक- दूसरे के साथ मिलकर रहना मिसाती है, आपस में भाई-भारा रसना सिखाती है। इस लिए एमें चाहिए कि आपस में एक-दूसरे के साथ मिल- फूल फर खुशी से रहे।
ईद पर निबंध (300 शब्दों में)
ईद प्रेम और सद्भाव का त्योहार है। यह भाईचारे का संदेश देता है। यह शायद मुस्लिम समुदाय का मुख्य त्योहार है। मुस्लिम पवित्र रमजान के महीना का इंतजार करते हैं। कुछ देशों में इसे ‘रमदान’ के नाम से भी जाना जाता है। मुस्लिमों के लिए यह उपवास का महीना होता है। सभी उम्र के मुस्लिम पूरा महीना उपवास रखते हैं ।
रमजान के महीना में सूर्योदय से पूर्व स्थानीय मस्जिद से एक पुकार होती है ‘सेहरी’ खाने के लिए । उपवास सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है। संध्या समय एक निश्चित समय पर वे लोग रोजा खोलते हैं। रोजा रखनेवाले सारा दिन अल्लाह को याद करते हैं। इसलिए उन्हें भूख और प्यास कष्ट नहीं पहुँचाते । उपवास आत्मा के शुद्धीकरण का प्रतीक है।
रोजा के दरम्यान रोजेदार सच्चाई, इंसानियत, अमन-चैन और लालच से दूर रहने जैसे सद्गुणों के विषय में सोचते हैं। वे परवरदीगार के सामने नमाज में पाँच बार झुकते हैं ।
ईद की तैयारियाँ ईद से कुछ दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। नये कपड़े, जूते एवं चप्पल खरीदे जाते हैं। घरों की रंगाई-पुताई की जाती है। सेवइयाँ बनाई जाती हैं। बच्चों एवं युवा लड़के और लड़कियों के लिए यह उमंग-भरा समय होता है ।
ईद अनुशासन का संदेश भी देता है। सुबह में ईद का नमाज एक नियत समय पर पूरी दुनिया में अनुशासन का मिशाल खड़ा करप्त्ता है। बच्चे, बूढ़े और जवान सभी नमाज पढ़ने जाते हैं । इस अवसर पर बड़े मस्जिदों के सामने रोड पर लम्बी कतारें देखी जा सकती हैं। उनके अंदाज बड़े निराले होते हैं। सभी एकसाथ उठते हैं, बैठते हैं और झुकते हैं। यह उनकी एकता का प्रतीक है ।
जब ईद का नमाज समाप्त होता है, तब सभी एक-दूसरे को ईद का मुबारकवाद देते हैं और स्नेह से गले मिलते हैं। सभी प्रकार की दुश्मनी को भुला दिया जाता है । दूसरे धार्मिक सम्प्रदाय के लोग भी अपने मुस्लिम दोस्तों से मिलते हैं और एक-दूसरे को बधाई देते हैं । ईद-नमाज के बाद पूरा माहौल खुशगवार होता है। लोग घर-घर जाते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं ।
ईद पर निबंध (350 शब्दों में)
जिस तरह होली हिन्दुओं का और क्रिसमस ईसाइयों की हँसी-खुशी व प्रसन्नता का त्योहार है ठीक उसी तरह मुसलमानों की प्रसन्नता और उल्लास का त्योहार ईद है। यह त्योहार सम्पूर्ण इस्लामी जगत् का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। हर मुसलमान इस त्योहार को नियम के साथ मनाते हैं।
ईद त्योहार का दूसरा नाम ईद-उल-फितर है। ईद का अर्थ ‘फिर से’ और फितर का अर्थ ‘खाना-पीना’ होता है। इस तरह ईद का अर्थ ‘फिर से खाना पीना’ होता है। मुसलमानों का एक महीना रमजान का होता है। रमजान के महीने में इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद साहब ने कठोर साधना की थी और इसी महीने में उन्हें कुरान लिखने की प्रेरणा मिली थी।
अतः ईद कुरान की वर्षगाँठ के रूप में भी मनायी जाती है। महीने भर ‘जगात’ दी जाती है। इस महीने में वे लोग केवल रात में खाते है। रमजान का महीना पूरा होने पर जिस दिन चाँद दिखता है उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है। इस दिन सभी मुसलमान भाई मीठी सेवई खाते हैं और दूसरों को खिलाते हैं। इसीलिए इस त्योहार को मीठी ईद भी कहते हैं। इस दिन से सभी रोजा रखनेवाले दिन में भी खाना-पीना शुरू कर देते हैं। यही ईद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है।
ईद की प्रतीक्षा बड़ी ही उत्कंठा से की जाती है। सभी मुसलमान भाई इस अवसर पर नये कपड़े सिलवाते हैं। ईद के दिन सभी बहुत सुबह उठकर स्नान करके तैयार हो जाते हैं और ईदगाह की ओर चल पड़ते हैं। ईदगाह में सामूहिक नमाज अदा की जाती है। सभी लोग बूढ़े-बच्चे मिलकर खुदा की इबादत करते हैं। नमाज समाप्त होने पर सभी एक-दूसरे के गले मिलते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। सारे भेदभाव भुलाकर लोग गले मिलते हैं।
ईद हमें प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। यह हँसी-खुशी और प्रसन्नता का त्योहार है। इस अवसर पर हिन्दू भी अपने मुसलमान भाइयों को ईद मुबारक कहते हैं और मुसलमान अपने हिन्दू भाइयों को मीठी सेवइयाँ खिलाते हैं। इस तरह यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्त्व का है, वरन् यह सामाजिक महत्त्व का भी है।
यह त्योहार सम्पूर्ण मुस्लिम सम्प्रदाय में नवजीवन का संचार करता है। यह त्योहार कंटकाकीर्ण जीवन में समता एवं समरसता का समावेश करता है। ईद हमें संकीर्ण भावना से ऊपर उठने की सीख देती है।
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