माँ पर कविता : आज इस लेख में हम दुनिया के सबसे अनमोल कविता आपके सामने प्रस्तुत किये है जिनको पढने के बाद आपका दिल भर जायेंगा। यहाँ हम आपके लिए माँ पर कविता लिखे है जो आपको काफी पसंद आएगा।
दोस्तों संसार में भगवान का रूप माँ को दिया गया है क्योकि माँ के प्यार के आगे दुनिया के किसी भी चीज की कीमत नहीं है वो लोग बहुत ही भाग्यशाली है जिनकी माँ है क्योकि जिनके साथ माँ है उनके साथ किस्मत भी साथ देती है।
माँ के बारे में शब्दों में बताया मुश्किल कार्य है लेकिन यहाँ हम माँ के लिए कविता लिखे है जिसे आपको एक बार जरुर पढना चाहिए।
माँ पर कविता – अनमोल रत्न
माँ का प्यार, कुछ अद्वितीय है,
उनकी ममता, कुछ अनमोल रत्न है।
पलकों पर वो होती हैं हमेशा हँसती,
दर्द में भी वो होती हैं हमें बहुत पसंद करती।
जब हम छोटे थे, हमें उनकी गोदी में सुलाया,
बड़े होते होते भी, उनकी गोदी ही जन्नत थी हमारी यहाँ।
उनकी बातों में छुपा होता जीवन का सबकुछ,
उनके बिना हमारा जीवन होता सूना-सा सब कुछ।
माँ की ममता से हमें मिलता सबसे अच्छा आशीर्वाद,
उनके बिना हमारा जीवन होता बिना दिशा-संदेश।
माँ के बिना कुछ भी अधूरा सा लगता है,
उनके साथ हमें हर मुश्किल पर गुजरने की ताकद मिलती है।
उनकी हँसी, उनकी ममता, वो अपनेपन का आभूषण,
माँ के बिना हमारा जीवन होता अधूरा-सा संसार ही अजनबी है।
माँ, तुम हो हमारी दुनिया की महक,
तुम हो हमारे दिल की धड़कन,
हमारे जीवन की सहकर्मी,
आपके बिना हमारा जीवन होता अधूरा।
माँ के बिना कुछ भी अधूरा सा लगता है,
उनके साथ हमें हर मुश्किल पर गुजरने की ताकद मिलती है।
माँ की ममता से हमें मिलता सबसे अच्छा आशीर्वाद,
उनके बिना हमारा जीवन होता बिना दिशा-संदेश।
माँ का प्यार, कुछ अद्वितीय है,
उनकी ममता, कुछ अनमोल रत्न है।
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माँ – अनमोल रत्न (2)
माँ की ममता, माँ का प्यार,
यह अनमोल रत्न, है सच्चा संसार।
सुनहरी छाया तेरी बाहों की,
मेरी दुनिया है, तू मेरी माँ है।
तुझसे मिलकर ही होता है जीवन,
तेरे बिना सब कुछ है अधूरा।
तू है मेरी गुड़िया, तू है मेरा ख़्वाब,
तेरी ममता के बिना, कुछ भी नहीं है माय।
तू है सच्ची दोस्त, तू है मेरा साथ,
मेरे हर सफल होने में है तेरा हाथ।
जब मैं थक जाता, जब मेरी हो गई हालत खराब,
तू हमेशा मेरे पास रही, मेरी माँ, मेरी जान।
तेरी हँसी की ख़ातिर, तू हर कठिनाई सहती,
तू ही है मेरी शक्ति, तेरे बिना कुछ भी पूरा नहीं हो सकता।
माँ, तू ही है मेरी दुनिया की सबसे प्यारी चीज़,
तू है मेरी ममता, तू है मेरी आँचल की सीज़।
तुझसे ही मेरा सब कुछ, तू ही है मेरा दिल,
माँ, तेरे बिना यह जीवन है सुना, अब हो जाओ मेरे साथ।
माँ पर कविता – मेरी आंखों का तारा ही (3)
मेरी आंखों का तारा ही, मुझे आंखें दिखाता है,
जिसे हर एक खुशी दे दी, वो हर गम से मिलाता है।
जुबा से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं माँ हूं,
सिखाया बोलना जिसको, वो चुप रहना सिखाता है।
सुला कर सोती थी जिसको वह अब सभर जगाता है,
सुनाई लोरिया जिसको, वो अब ताने सुनाता है।
सिखाने में क्या कमी रही मैं यह सोचूं,
जिसे गिनती सिखाई गलतियां मेरी गिनाता है।
8 हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है,
हम कुंठित हैं तो वह एक अभिलाषा है,
बस यही माँ की परिभाषा है।
हम समुंदर का है तेज तो वह झरनों का निर्मल स्वर है,
हम एक शूल है तो वह सहस्त्र ढाल प्रखर।
हम दुनिया के हैं अंग, वह उसकी अनुक्रमणिका है,
हम पत्थर की हैं संग वह कंचन की कृनीका है।
हम बकवास हैं वह भाषण हैं हम सरकार हैं वह शासन हैं,
हम लव कुश है वह सीता है, हम छंद हैं वह कविता है।
हम राजा हैं वह राज है, हम मस्तक हैं वह ताज है.
वही सरस्वती का उद्गम है रणचंडी और नासा है।
हम एक शब्द हैं तो वह पूरी भाषा है,
बस यही माँ की परिभाषा है।
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Poem about Mother in Hindi – चिंतन दर्शन जीवन सर्जन (4)
चिंतन दर्शन जीवन सर्जन,
रूह नज़र पर छाई अम्मा।
सारे घर का शोर शराबा,
सूनापन तनहाई अम्मा।
उसने खुद़ को खोकर मुझमें,
एक नया आकार लिया है।
धरती अंबर आग हवा जल,
जैसी ही सच्चाई अम्मा।
सारे रिश्ते- जेठ दुपहरी,
गर्म हवा आतिश अंगारे।
झरना दरिया झील समंदर,
भीनी-सी पुरवाई अम्मा।
घर में झीने रिश्ते मैंने,
लाखों बार उधड़ते देखे।
चुपके चुपके कर देती थी,
जाने कब तुरपाई अम्मा।
बाबू जी गुज़रे, आपस में,
सब चीज़ें तक़सीम हुई तब।
मैं घर में सबसे छोटा था,
मेरे हिस्से आई अम्मा।
Maa Par Kavita in Hindi (5)
चूल्हे की
जलती रोटी सी
तेज आँच में जलती माँ !
भीतर -भीतर
बलके फिर भी
बाहर नहीं उबलती माँ !
धागे -धागे
यादें बुनती ,
खुद को
नई रुई सा धुनती ,
दिन भर
तनी ताँत सी बजती
घर -आँगन में चलती माँ !
सिर पर
रखे हुए पूरा घर
अपनी –
भूख -प्यास से ऊपर ,
घर को
नया जन्म देने में
धीरे -धीरे गलती माँ !
फटी -पुरानी
मैली धोती ,
साँस -साँस में
खुशबू बोती ,
धूप -छाँह में
बनी एक सी
चेहरा नहीं बदलती माँ !
अंधियारी रातों में मुझको…(6)
अंधियारी रातों में मुझको,
थपकी देकर कभी सुलाती।
कभी प्यार से मुझे चूमती,
कभी डाँटकर पास बुलाती।
कभी आँख के आँसू मेरे,
आँचल से पोंछा करती वो।
सपनों के झूलों में अक्सर,
धीरे-धीरे मुझे झुलाती।
सब दुनिया से रूठ रपटकर,
जब मैं बेमन से सो जाता।
हौले से वो चादर खींचे,
अपने सीने मुझे लगाती।
क्या हुआ माँ अगर तुम कुछ कह नहीं सकती (7)
क्या हुआ माँ अगर तुम कुछ कह नहीं सकती,
लेकिन हम तो सब सुन लेते है।
क्या हुआ माँ अगर तुम बता नहीं सकती,
लेकिन हम तो सब कर देते है।
क्या हुआ माँ अगर तुम जता नहीं सकती,
लेकिन हम तो महसूस कर लेते है।
क्या हुआ अगर तुम चल नहीं सकती,
लेकिन हम तो आ जाते है।
क्या हुआ माँ अगर तुम बना नहीं सकती,
लेकिन हम तो सब चख लेते है।
क्या हुआ माँ अगर तुम पूजा नहीं कर सकती,
लेकिन हमारी तो तुम ही भगवान हो।
क्या हुआ माँ अगर तुम आशाएं छोड़ चुकी हो,
लेकिन हम तो उम्मीदों के दामन थामे है।
माँ तुम ऐसा जीवन अमृत हो,
जिसे हम हर रोज पीते है।
आपकी प्यारी बिटिया,
तेज धूप से मुझे बचाता (8)
तेज धूप से मुझे बचाता,
बन जाता टोपी या छाता,
मेरी माँ का आंचल।
भरी ठंड गोदी में दुबकू,
दे गर्माहट मुझे सुलाता,
मेरी माँ का आंचल।
पापा आते मुझे ढूँढने,
मुझे छिपाता उन्हें छकाता,
मेरी माँ का आंचल।
चने मूंगफली रखो चाहे,
झोली बनकर है लिपटाता,
मेरी माँ का आंचल।
मैं रोऊँ तो आंसू पौछे,
कभी नैपकिन बन जाता है,
मेरी माँ का आंचल।
चाहे सारी दुनिया रूठे,
पल पल मेरा साथ निभाता,
मेरी माँ का आंचल।
रहूँ कही भी नेह दिखाता,
मुझे लुभाता पास बुलाता,
मेरी माँ का आँचल।
मैं तो चाहूँ जीवन भर ही,
रहे सदा घर में लहराता,
मेरी माँ का आंचल।
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गप्पू चप्पू थे दो भाई (9)
गप्पू चप्पू थे दो भाई,
आपस में ठन गई लड़ाई।
गप्पू ने मारा दो चाटा,
दांत तभी चप्पू ने काटा।
माँ झगड़ा सुनकर जब आई,
दोनों पर बेहद गुस्साई।
बोली खाना बंद करूंगी,
दोनों के कान मलूंगी।
जोर जोर से तब चिल्लाना,
फिर भी नहीं मिलेगा खाना।
दोनों जब कसमें खाओगे,
झगड़ा कभी न दुहराओगे।
तब दूंगी मैं दूध मलाई,
दोनों को ये बातें भाई।
अच्छे लड़के नहीं झगड़ते,
पढ़ लिखकर आगे बढ़ते।
कान पकड़ दोनों पछ्ताएं,
फिर तो माँ ने गले लगाए।
माँ का त्याग हिंदी कविता (10)
तुम एक गहरी छाव है अगर तो जिंदगी धूप है माँ,
धरा पर कब कहां तुझसा कोई स्वरूप है माँ।
अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कहां किसने,
धरा पर तो तू ही ईश्वर का रूप है माँ, ईश्वर का कोई रुप है माँ।
नई ऊंचाई सच्ची है नए आधार सच्चा है,
कोई चीज ना है सच्ची ना यह संसार सच्चा है।
मगर धरती से अंबर तक युगो से लोग कहते हैं,
अगर सच्चा है कुछ जग में तो माँ का प्यार सच्चा है।
जरा सी देर होने पर सब से पूछती माँ,
पलक झपके बिना घर का दरवाजा ताकती माँ।
हर एक आहट पर उसका चौक पड़ना, फिर दुआ देना,
मेरे घर लौट आने तक, बराबर जागती है माँ।
सुलाने के लिए मुझको, तो खुद ही जागती रही माँ,
सहराने देर तक अक्सर, मेरे बैठी रही माँ।
मेरे सपनों में परिया फूल तितली भी तभी तक थे,
मुझे आंचल में लेकर अपने लेटी रही माँ।
बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी माँ,
कमी थी बड़ी पर खुशियाँ जुटाना जानती थी माँ।
मै खुशहाली में भी रिश्तो में दुरी बना पाया,
गरीबी में भी हर रिश्ता निभाना जानती थी माँ।
Maa Short Poem in Hindi (11)
प्यारी जग से न्यारी माँ,
खुशियां देती सारी माँ।
चलना हमें सिखाती माँ,
मंजिल हमें दिखाती माँ।
सबसे मीठा बोल है माँ,
दुनिया में अनमोल है माँ।
खाना हमें खिलाती है माँ,
लोरी गाकर सुलाती है माँ।
प्यारी जग से न्यारी माँ,
खुशियां देती सारी माँ।
Maa Poem in Hindi (12)
मैंने माँ को है जाना, जब से दुनिया है देखी,
प्यार माँ का पहचाना, जब से उंगली है थामी।
त्याग की भावना जो है माँ के भीतर,
प्यार उससे भी गहरा जितना गहरा समंदर।
अटल विश्वास माँ का, माँ की ममता डोरी,
माँ के आंचल की छांव, माँ की मुस्कान प्यारी।
माँ ही है इस जहां में जो सबसे न्यारी,
सीचती है जो हमारे जीवन की क्यारी।
माँ की आंखों में देखें सपने हजार हमारे वास्ते,
मंजिलें बनाई ने अपनी न माँ ने चूने अपने रास्ते।
डगमगाए कदम जो तो है थाम लेती,
गर हो जाऊं उदास तो माँ प्यार देती।
मेरे लिए वह करती अपनी खुशियां कुर्बान,
गम के सैलाब में भी बिखेरती है मुस्कान।
वो सिमटी थी घर तक रखती थी सब का मान,
हर कमी को पूरा करने में जिसने लगा रखी है जान।
वजूद माँ का और माँ की पहचान,
रखना माँ के लिए सदा ह्रदय में सम्मान।
बहुत याद आती है माँ – माँ पर कविता (13)
बहुत याद आती है माँ,
मैं हूं कौन बताया था माँ ने।
मुझे पहला कलमा पढ़ाया था माँ ने,
वो यह चाहती थी कि मै सिख जाऊ।
वो हाथो से खिलाती थी मुझ को,
कभी लोरिया भी सुनाती थी मुझ को।
वह नन्हे से पैर चलाती थी मुझको,
कभी दूर जाकर बुलाती थी मुझको।
मेरा लड़खड़ाकर पहलू में गिरना,
उठाकर गले से लगाती थी मुझको।
कि चलना सिखाती है माँ,
बहुत याद आती है माँ।
तू धरती पर ख़ुदा है माँ – माँ पर कविता (14)
तू धरती पर ख़ुदा है माँ,
पंछी को छाया देती पेड़ों की डाली है तू माँ।
सूरज से रोशन होते चेहरे की लाली है तू,
पौधों को जीवन देती है मिट्टी की क्यारी है तू।
सबसे अलग सबसे जुदा,
माँ सबसे न्यारी है तू।
तू रोशनी का खुदा है माँ,
बंजर धरा पर बारिश की बौछार है तू माँ।
जीवन के सूने उपवन में कलियों की बहार है तू,
ईश्वर का सबसे प्यारा और सुंदर अवतार है तू माँ।
तू फरिश्तों की दुआ है माँ,
तू धरती पर ख़ुदा है माँ।
गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है (15)
गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है,
सितारों ने गगन से माँ के लिए सलाम भेजा है।
संवेदना है, भावना है, एहसास है माँ,
जीवन के फूलों में खुशबू का आभास है माँ।
पूजा की थाली है माँ मंत्रों का जाप है माँ,
माँ मरुस्थल में बहता मीठा सा झरना है।
माँ त्याग है तपस्या है सेवा है माँ,
जिंदगी की कड़वाहट है अमृत का प्याला है माँ।
पृथ्वी है जगत है धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।
माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है,
माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता।
और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता,
और माँ जैसा दुनिया में कोई हो नहीं सकता।
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