आज के इस आर्टिकल के अंदर मैं आपको एक ऐसे लेखक के बारे में बताने वाला हूं। जिसने की हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया, यह लेखक शांति के भी प्रतीक माने जाते हैं। यह अपना कार्य बड़ी ही शांति और प्रबलता से करते थे। इन्होंने हिंदी साहित्य को बहुत सी कविताएं और लेख प्रदान किए।
जिसके द्वारा हिंदी साहित्य को आगे बढ़ने में बहुत ज्यादा मदद मिली। इनको बचपन से ही लिखने का बहुत ज्यादा शौक था। इसीलिए यह आगे चलकर जीवन में एक लेखक बने। यदि आप इस लेखक की जीवन कथा पढ़ेंगे। तभी आप इस लेखक के जीवन के बारे में संक्षिप्त जानकारी ले पाएंगे, जोकि आज हम आपको इस आर्टिकल के अंदर बताएंगे।
जैसा कि मैंने आपको बताया कि, य़ह लेखक की शुरू से ही कविताएं लिखने में बहुत ज्यादा शौक रखते थे। उन्होंने अपने बचपन में कविताएं लिखना आरंभ कर दिया और इस महान लेखक का नाम है। “रबीन्द्रनाथ टैगोर“, जो आगे चलकर बहुत बड़ी शख्सियत बने और इन्होंने नव युवकों के सामने एक बहुत बड़ी मिसाल पेश की थी।
यदि आप अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं, तो वह सिर्फ़ मेहनत के द्वारा, शुरू से ही कविताओं का शौक रखने वाले रविंद्रनाथ टैगोर अपने जीवन में बहुत सी ऐसी कविताएं लिख गए। जिसको आज भी लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं और उन कविताओं को पढ़कर रबीन्द्रनाथ टैगोर को याद करते हैं और उनके प्रति अपने प्यार को दर्शाते हैं।
आइये इस लेख में माध्यम से हम आपको रबीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय (Rabindranath Tagore Biography in Hindi) उपलब्ध कराएँ है जो आपको काफी पसंद आएगा।
Rabindranath Tagore Biography in Hindi
नाम | रबीन्द्रनाथ टैगोर |
माता का नाम | शारदा देवी |
पिता का नाम | देवेंद्र नाथ टैगोर |
जन्म की तिथि | 7 मई 1861 |
जन्म का स्थान | कोलकाता |
शिक्षा | लंदन लॉ कॉलेज |
कार्यक्षेत्र | कवि |
मुख्य गान | राष्ट्रीय गान के रचयिता |
पुरस्कार | (नोबेल पुरस्कार)1913 |
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 कोलकाता के अंदर हुआ था, इनका प्रमुख जन्म स्थान जोड़ासाँको की हवेली माना जाता है। इनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था। इनके पिता प्रमुख रूप से एक नेता थे। यह ब्रह्म समाज के लिए कार्य करते थे और उस समाज में इन्हें नेता के रूप में उपाधि दी गई थी।
यह सभाव में बड़े ही सादे थे, इनका रहन-सहन भी बड़ा ही सादा था, वह इनके पिता अपने परिवार से जुड़े रहते थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर के परिवार में 13 बच्चे थे। जिसमें से सबसे छोटे यही थे। सबसे छोटे होने के कारण इन्हें प्यार परिवार में बहुत ज्यादा सिन्हा किया जाता था। यह सभी के लाडले थे।
टैगोर जी की माता का नाम शारदा देवी था। यह भगवान में बहुत ज्यादा यकीन रखती थी, वह भगवान बहुत ज्यादा पूजा पाठ करती थी। टैगोर जी के बचपन में ही इनकी माता का निधन हो गया। घर में सबसे ज्यादा प्यार टैगोर जी को उनकी माता के द्वारा ही मिला था, बाद में टैगोर जी का पालन पोषण घर के नौकरों के द्वारा किया गया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल से की थी। यह उस समय सबसे जाना-माना स्कूल माना जाता था। इनके पिता नेता होने के कारण इनको इस स्कूल में बड़ी ही आसानी से दाखिला मिल गया और उच्च शिक्षा के लिए बाद में यह विदेश चले गए।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन
1883 के अंदर रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का विवाह हो गया, इनकी पत्नी का नाम म्रणालिनी देवी था, यह सिर्फ 10 साल की ही थी, जब इनका विवाह टैगोर जी के साथ कर दिया गया। जैसा मैंने आपको पहले भी बताया टैगोर जी का बचपन से ही रुचि कविताएं लिखने में थी, तो उन्होंने 8 वर्ष की उम्र में ही कविता लिखनी शुरू कर दी और जब यह 16 वर्ष के थे, तो इनकी कविताएं प्रकाशित होना शुरू भी हो गई। सबसे पहले इनकी कविता भानु सिन्हा ने प्रकाशित की की थी।
कुछ वर्ष के बाद 1871 के अंदर इनके पिता के कहने पर उन्होंने लंदन के एक लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लिया, वह उन्होंने इस कॉलेज में 2 साल की शिक्षा प्राप्त की, पर कविताओं में रुचि होने के कारण और भारतीय साहित्य में रुचि के कारण, इन्होंने लंदन का वह कॉलेज छोड़ दिया और वापस भारत लौट आए। इन्होंने ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के लिए अपनी डिग्री भी बीच में छोड़ दी और भारत आ गई।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का राजनीतिक दृष्टिकोण
रबीन्द्रनाथ टैगोर भारतीय साहित्य के साथ-साथ राजनीतिक चीजों का भी ज्ञान रखते थे, जब हमारा देश ब्रिटिश सरकार के गुलाम था, तो उन्होंने इस गुलामी के विरोध में बहुत सारी कविताएं लिखी और ब्रिटिश सरकार का विरोध किया।
यह लंदन से भी इसी कारण लौटे थे कि, हमारे देश के लिए कुछ लिख पाए, इन्होंने भारतीय राष्ट्रवादियों का खुलकर समर्थन किया और समाजवादियों का खुलकर विरोध किया, उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत सारी कविताएं लिखी, ताकि लोगों के अंदर आजादी के लिए जोश भर पाए।
जब 1915 के अंदर जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ, तो इससे उनको बहुत ज्यादा दुख हुआ, उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दी गई पदवी को वापस दे दिया और अपने पद से इस्तीफा ले लिया, तो इन सभी बातों से आप कह सकते हैं कि, रबीन्द्रनाथ टैगोर अंग्रेजों के बहुत खिलाफ थे और वह अंग्रेजी शिक्षा के भी बहुत ज्यादा खिलाफ रहे, उन्होंने भारतीय लोगों को अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध करने के लिए बहुत सारी कविताएं भी लिखी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का निधन (Rabindranath Tagore Death)
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी का निधन 7 अगस्त 1941 को हुआ था, यह क्षण भारतीय साहित्य के लिए बहुत दुखद रहा क्योंकि, इतने बड़े साहित्यकार को भारतीय संस्कृति ने खो दिया, इस दिन सभी लोगों ने दुख प्रकट किया, टैगोर जी ने अंग्रेजो के खिलाफ होकर बहुत सारे कार्य किए, जो कि भारतीय लोगों के हितों में थे।
उन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत सारी कविताएं लिखी थी, जिन्होंने भारतीय लोगों के अंदर जोश भर दिया, जिसके कारण 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो पाया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएँ
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी ने अपने जीवन में बहुत सी कविताएं लिखी और लघु उपन्यास भी लिखे, इन्होंने कुछ ऐसे गान भी लिखे जो आज भी भारत के अंदर गाए जाते हैं।
इन्होंने साहित्यिक कार्यों में कदम सिर्फ इनकी पत्नी और उनके बच्चे की मौत के बाद ही रखा, उससे पहले इनको साहित्यिक कार्यों में इतनी ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी।
इन्होंने 1877 के अंदर कुछ कहानियां लिखी, जो कि इस प्रकार है।
- भिखारिणी
- संध्या संघ
इनकी कुछ प्रमुख लघु कथाएं इस प्रकार है।
- काबुलिवाला
- क्षुदिता पश्न
- अटोत्जू
- हैमांति
- मुसलमानिर गोल्पो
इन्होंने कुछ प्रमुख उपन्यास भी लिखें जो इस प्रकार है।
- नौकादुबी
- गोरा
- चतुरंगा
- घारे बायर
- जोगजोग
टैगोर जी 1873 के अंदर अपने पिता के साथ भारतीय दौरे पर गए थे। इस समय इन्होंने बहुत सी चीजों का ज्ञान लिया। इन्होंने पंजाब के धर्म का भी बहुत सारा ज्ञान लिया और इससे प्रभावित होकर भी उन्होंने कुछ कविताएं लिखी।
उन्होंने भारतीय संस्कृति के बहुत से पहलुओं को जाना, इस यात्रा के अंदर उन्होंने बहुत कविताएं लिखी, जो कि अलग-अलग धर्म पर आधारित थी, यह इस यात्रा के अंदर बहुत से धर्मों से प्रभावित हुए और अपनी सोच को अपनी कविताओं के अंदर लिखा था।
रबीन्द्रनाथ टैगोर प्रमुख पुरस्कार
रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को अपने जीवन में बहुत सारे पुरस्कार मिले, जिसमें से कुछ पुरस्कार तो इन्हें अंग्रेजी सरकार के द्वारा भी दिए गए। इनकी कविताओं से अंग्रेजी सरकार भी बहुत ज्यादा प्रभावित थी, तो अंग्रेजी सरकार ने भी इन्हें बहुत सारे पुरस्कार दिए, भारतीय सरकार के द्वारा इनको सबसे प्रमुख पुरस्कार इनके गान के लिए दिया गया, जो इस प्रकार है:-
राष्ट्रीय गान:- नोबेल पुरस्कार
इन्होंने 15वीं और 16वीं शताब्दी के कलाकारों की तुलना करते हुए, कुछ गीत भी लिखे, इनकी गीतों की संख्या 2213 थी, इससे प्रभावित होकर इन्हें बहुत से पुरस्कार दिए गए, जिसमें की पदम भूषण पुरस्कार मुख्य था।
FAQ
Q : रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कब हुआ?
Ans : 7 मई 1861
Q : रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु कब हुई?
Ans : 7 अगस्त 1941
Q : रविंद्र नाथ टैगोर के कितने बच्चे थे?
Ans : 5 बच्चे थे (रेणुका टैगोर, शमिंद्रनाथ टैगोर, मीरा टैगोर, रथिंद्रनाथ टैगोर, माधुरिलता टैगोर)
Q : रविंद्र नाथ टैगोर का जन्म कहां हुआ था?
Ans : कोलकाता, जोरासांको ठाकुरबारी
Related Articles :-