Durga Puja Essay in Hindi : दुर्गा पूजा हिन्दुओ का प्रसिद्ध त्योहारों में एक है, इस पर्व में माता दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है सभी भक्त जन माता की पूजा, गीत, गान प्रेम-भाव से करते है दुर्गा पूजा 10 दिनों का त्यौहार है लेकिन दुर्गा माता की मूर्ति को 7वें दिन से पूजा की जाती है, आखिरी के ये तीन दिन ही पूजा बड़े धूम-धाम से होती है यह त्यौहार हिंदी धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार माँ दुर्गा के साथ महिंसासुर के साथ 9 दिन तक युद्ध हुआ इसी के उपलक्ष्य में नवरात्रि मनाई जाती है दुर्गा पूजा में हर साल भारत देश अनेको जगहों पर बहुत ही धूम-धाम से मनाई जाती है।
दुर्गा पूजा के समय को नवरात्रि कहाँ जाता है दुर्गा पूजा यानी नवरात्रि का नाम सुनते ही हमे बंगाल और कोलकता की याद आती है वैसे तो दुर्गा ये पूजा भारत के हर शहर हर गांव में मनाया जाता है लेकिन बंगाल और कोलकाता की दुर्गा पूजा की बात ही कुछ अलग होता है दुर्गा पूजा मानाने का मकसद बुराई के ऊपर अच्छाई के जीत के याद में बनाई जाती है।
यह पूजा नारी शक्ति के सम्मान के लिए मनाई जाती है कहा जाता है श्रीरामचंद्र जो ने आश्विन शुक्लपक्ष दशमी को रावण पर विजय पाने के लिए शक्तिपूजा की थी जिसके फलस्वरूप उन्हें रावण जैसे दुष्ट और आततायी पर विजय मिली थी विजयादशमी इसी विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है दूसरी एक कथा के अनुसार इसी दिन माँ दुर्गा ने रणचंडी बन देवताओं के प्रबल शत्रु महिषासुर का मर्दन किया था।
इसीलिए उस दिन से इस दिवस को विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा। कथा जो भी हो, एक बात स्पष्ट है कि दानवता पर देवत्व की विजय असत्य पर सत्य की जीत के रूप में हम दुर्गापूजा मनाते हैं दुर्गा पूजा आने से पहले ही भारत देश के सभी शहरों में महीना पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है कई प्रकार के पंडाल बनाया जाता है और उसे काफी सुंदर सजाया जाता है।
इस पर्व को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग प्रकार से मनाया जाती है कही डांडिया खेला जाता है तो कही नाच गाना होता है कहने का मतलब यह है कि सभी लोग माँ दुर्गा के भक्ति में डूब जाते है ऐसे में दुर्गा पूजा पूरा हिंदुस्तान में होती है लेकिन सबसे ज्यादा धूम-धाम से बंगाल, बिहार, झारखण्ड व उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है जो छात्र पढाई करते है।
अक्सर उन्हें दुर्गा पूजा पर निबंध लिखने को मिलता है इस लिए इस लेख में हमने आपके Durga Puja Essay in Hindi 300 Words, 450 Words, 500 Words, 20 Line लिखे है जो छात्रो के लिए शानदार साबित होगा।
दुर्गा पूजा पर निबंध (300 शब्द) – Long and Short Durga Puja Essay in Hindi
परिचय
दुर्गा पूजा हिन्दुओ का सबसे पहला प्रसिद्ध त्योहार है दुर्गा पूजा को दशमी विजयादशमी और नवरात्र पूजा भी कहा जाता है यह पर्व उतरी भारत में बड़े बहु भाम से मनाया जाता है इस अवसर पर लोग माता दुर्गा की पूजा और विनती करते है यह पर्व दस दिन तक मनाया जाता है आश्विन के शुक्ल पक्ष के आरंभ से यह पूजा शुरू होती है विभिन्न स्थानों पर भक्तलोग कलश स्थापित कर दुर्गा माता की पूजा प्रारंभ करते है रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है इस त्यौहार में बच्चे से लेकर बुजर्ग तक सभी काफी खुश रहते है।
उत्सव
दुर्गापूजा दस दिनों तक होती है सप्तमी आस्तमी और नवमी को बिशेष अनुस्थान होता है कुछ आस्थानों पर कलश अस्थापित कर दुर्गा माता की पूजा की जाती है गावं अवाम शहरों
मे गजह गजह पर दुर्गा माता की प्रतिमाओ/मूर्तियाँ को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है उपयुक्त तीन दिनों तक काफी भीड़ रहती है बच्चे इस औसर पर बहुत खुश रहते है व नई नई कपरे पहनकर मेल घूमने जाते है मेले मे तरह तरह के खेल तमासों के मजे लेते है इस तरह दुर्गापूजा का समारोह खतम हो जाता है।
इतिहास
इस पर्व के साथ की प्राचीन कहानियाँ जूरी रहती है दशहरा सबद का शबदीक आर्थ दश हारा होता है दुर्गामाता की आर्चना करने के बाद राम ने इसी दिन राम ने दस सिर वाले रावण को मारा था इसी खुशी मे यह पर्व मनाया जाता है कुछ लोगो कहना है की देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक दैत्य दानौ को मारा था इसी उपलक्ष में मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा पर निबंध (450 शब्द)
दुर्गा पूजा एक हिन्दुओ का महत्वपूर्ण त्योहार है यह पूरे भारत देश भर में मनाया जाता है लेकिन कुछ राज्यों में यह बड़े धूम धाम के साथ मनाया जाता है यह भारत के पश्चिम बंगाल तो यह प्रमुख त्योहार है यह आश्विन माह के शुल्क पक्ष की प्रथम तिथि से दशमी तिथि तक त्यौहार मनायी जाती है और इस अवसर पर स्कूल काँलेज एवं सरकारी दफ्तर लम्बी दिन के लीये बंद रहता है।
यह आश्विन माह में मनाये जाने वाले त्योहाए को शारदीय नवरात्र कहा जाता है यह त्योहार चैत्र माह में भी मनाई जाती है चैत्र में मनाया जाने वाला त्योहार वसंती नवरात्र के रूप में जाना जाता है लेकिन यह उतना प्रसिद्ध नहीं है जितना की शारदीय नवरात्र पूजा होता है।
दुर्गा पूजा दस दिनों तक मनाया जाता है वास्व में पहले दिन से नौवें दिन तक मंत्र का उच्चारण देवी दुर्गा के सम्मान में किया जाता है और लोगों नें मंत्र पढ़तें है एवं देवी के शक्ति को याद करते है दसवाँ दिन विसर्जन का दिन होता है इस अवसर पर देवी एवं दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है इनकी स्थापना सातवें दिन की जाती है अंतिम दिन पूजा बड़े भूम भाम के साथ मनाया जाता है और वह पर अनेक मूर्तियाँ सजाय जाता है वह अलग अलग मुद्राओ की होती है उन्हें सुंदर वस्त्र पाहनाये जाते है।
देवी दुर्गा के दस हाथ होते है जिसमें विभिन्न प्रकार के अस्त्र धारण किए रहते है पूजा के समय में लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाता है और लोग पूजा स्थल के पास जमा होते है वे लोग देवी का दर्शन करना चाहते है वे लोग श्रद्धा एवं प्रेम से दान भी करते है।
विजयादशमी बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है कुछ स्थलों पर रामलीला का आयोजी भी किया जाता है और राम द्वारा रावण को मारा जाता है यह बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत का प्रतीक है कहा जाता है की दशमी के दिन ही राम नें रावण को मारा था।
इसे विजयादशमी के रूम में मनाया जाता है रावण को मरने के बाद राम ने देवी दुर्गा की पूजा की थी तब से इस दिन को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जा रहा है और दूसरी कहानी यह बताती है की देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक दैत्य दानौ को मारा था इस उपलक्ष में मनाया जाता है।
जो भी हो दुर्गा पूजा एक धार्मिक त्योहार है यह देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है यह बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है यह बड़े बहु भाम से मनाया जाता है और लोग नये कपड़े पहनते है और त्योहार का आनंद लेते है इसका आनंद सभी उम्र के लोग उठाते है खासकर बच्चों की खुशी की तो सीमा नहीं रहती है।
दुर्गा पूजा पर निबंध (500 शब्द)
संकेत :- 1. परिचय 2. महत्व 3. पूजा की तयारी 4. सामाजिक महत्व यवं उपसंहार
परिचय
दुर्गापूजा को दशहरा विजयदसमी और नवरात्र भी कहा जाता है यह हिन्दुओ का एक प्रसिद्ध त्योहार है यह पर्व मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश बिहार, झारखंड तथा बंगाल मे बारी ही तयारी के साथ मनाया जाता है इसके अलावा दुर्गा पूजा भारत के कोनो कोनो में मनाया जाता है।
महत्व
दुर्गापूजा का आरंभ कब हुआ इस के संबंध मे अनेक मत है इसकी अनेक पौरारिक कथाएं देश के भिन्न भिन्न भागों मे प्रचलित है एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार श्रीरामचंद्र जी ने इस दशमी के दिन रावण पर विजय प्राप्त कि थी इसी के लिए आज तक विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है।
दूसरी कथा के अनुसार जिस दिन माँ दुर्गा ने चाडी बनकर देवताओ के शत्रु महिषासुर का वध किया उसी दिन से यह पर्व मनाया जाता है इस पूजा के आरंभ की कथा चाहे जो भी हो इतना तो स्पष्ट होता है की इस दिन सत्य की विजय और असत्य की पराजय हुई थी देवताओ की जीत एवं रक्षसों की हर हुई थी इसी खुशी में भारत के लोग दुर्गा पूजा का पर्व मनाते है और सभी आपसी भेद भाव को भूलकर गले मिलते है।
पूजा की तैयारी
आश्विन के शूकल पक्ष के आरंभ में कलश स्थापना की जाती है और उस दिन से पूजा आरंभ हो जात है यह पूजा दसमी तक चलती है सप्तमी अष्टमी और नवमी को बड़ें धूम-धूम से पूजा की जाती है नवमी तक दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है दसमी को यज्ञ की समाप्ती हो जाती है यह दिन बड़ा ही शुभ मन जाता है।
भारतीय परिवारों में अच्छे कामों का शुभारंभ इसी दिन किया जाता है सप्तमी के दिन दुर्गा की मूर्ति किसी पवित्र स्थान पर स्थापित की जाती है जिसकी पूजा दशमी तक चलती है कहा जाता है की भगवान राम ने दुर्गा की पूजा की थी और उन्हें दुर्गा की सहायता से ही विजय प्राप्त हुई थी।
दुर्गा की महत्व का यही कारण हा की लोग नाच गान संगीत और नाटक में सुधबुध खोकर आनंद की लहॉर में डूब जाते है छोटे बड़े नए ननए कपड़ें पहनते है जिधर देखो उधर आनंद और खुशी का सागर लहराता दिखाई देता है अत: दुर्गा पूजा हिन्दुओ का एक बड़ा ही प्रसिद्ध और पवित्र त्योहार है।
सामाजिक महत्व यवं उपसंहार
दुर्गा पूजा का सामाजिक महत्व भी है वर्षाऋतु की समाप्ती के बाद से वाणिज्य व्यवपार की उन्नति होती है लोग जहाँ तहाँ भ्रमण करने को मिलता है इस समय देश की जलवायु अच्छी रहती है नयी नयी फसलें और हरी सब्जियाँ खाने को मिलता है।
अच्छा खाने खाना आसानी से पचता है सबका स्वास्थ ठीक रहता है इस प्रकार दुर्गा पूजा भारतीय जीवन के लिए सुख शांति और उन्नति का सन्देश लेकर आती है सभी लोग दुर्गा माता की प्रेम प्रूवक पूजा करते है और माता दुर्गा भी सबको सुखी रखती है।
दुर्गा पूजा पर निबंध (1000 शब्द)
परिचय
दुर्गा पूजा को दशहरा, विजयादशमी और नवरात्र पूजा के नाम से भी जाना जाता है यह हिन्दुओ का एक प्रसिद्ध त्योहार है जो मुख्य रूप से बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड और बंगाल में बड़े धूमधाम से बनाया जाता है।
महत्व
दुर्गा पूजा का शुरुआत कब से हुआ इसके बारे में अनेक मत है इसकी अनेक पौराणिक कथाएं देश के अलग अलग भागो में प्रचलित है जिसमे एक प्रसिद्ध कथाओ के अनुसार श्रीराम चन्द्र जी ने दशमी के दिन रावण पर विजय प्राप्त की थी इसी स्मृति में आजतक विजयदशमी का उत्सव मनाया जाता है दूसरी कथा के अनुसार माता दुर्गा ने चंडी का रूप लेकर देवताओ के शत्रु अहिषासुर का वध किया।
उसी दिन से यह पर्व मनाया जाता है इस पूजा के आरम्भ की कथा चाहे जो भी हो इतना स्पष्ट है की इसी दिन सत्य की जीत और असत्य की हार ही थी `देवताओ की जित और राक्षसों की हर हुई थी’ इसी ख़ुशी में भारत के लोग दुर्गापूजा का पर्व बनाते है और सभी लोग आपस में भेदभाव भूलकर भाई चारा के एक दुसरे में खुशियाँ बांटते है।
दुर्गापूजा का सामाजिक महत्त्व भी है इस अवसर पर संकल्पों को संजीवनी मिलती है लोग नए-नए कार्यों की शुरुआत करते हैं यह समय वर्षाऋतु की समाप्ति का समय होता है। अतः किसानों को इस समय कुछ फुरसत होती है वे बाजार-हाट घूमने एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शरीक होने तथा उनका आनंद लेने की स्थिति में होते हैं
इस तरह दुर्गापूजा का यह त्योहार जन-जीवन में एक नई आशा एवं उल्लास का संचार करता है हमें इस त्योहार के संदेशों को एक-दूसरे से बाँटना चाहिए रवं इसका भरपूर आनंद लेना चाहिए। यह पर्व हमें अपने अंदर की आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने का संदेश देता है।
पुर्जा की तैयारी
आशिवन के शुक्लपक्ष के आरम्भ में कलश-स्थापना होता है और उस दिन से माता की पूजा शुरू होती है यह पूजा दशमी तक चलती है और सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बड़ी धूमधाम से पूजा की जाती है नवमी तक `दुर्गासप्तशती’ को पथ होता है दशमी को यात्र की समाप्ति होती है।
यह दिन बड़ा शुभ माना जाता है भारतीय परिवारों में अच्छे कामो का शुभ्आरम्भ इसी दिन से किया जाता है सप्तमी के दिन दुर्गा माता की प्रतिमा किसी पवित्र स्थान पर स्थापित किया जाता है जिसकी पूजा दशमी तक चलती है कहाँ जाता है की भगवान राम ने दुर्गा पूजा की थी और उन्हें दुर्गा की सहायता से ही विजय प्राप्त हुआ था।
दुर्गा की महता का यही कारण है लोग नाच, गान, संगीत में डूब जाते है छोटे-बड़े नए कपडे पहनते है जिधर देखो उधर आनंद और उल्लास का सागर लहराता नजर आता है अत: दुर्गापुर्जा दुर्गा पुर्जा हिन्दुओ का एक बड़ा और प्रसिद्ध पर्व है।
साल में कुछ ऐसे पर्व आते हैं जो हमारे जीवन में नवचेतना का संचार कर जाते हैं इन पर्वो को मनाकर हम नई स्फूर्ति से भर उठते हैं मन में नई आशा की किरणें जाग उठती हैं ऐसे ही एक पर्व का नाम है दुर्गापूजा है दुर्गापूजा को दशहरा, विजयादशमी और नवरात्रपूजा के नाम से भी जाना जाता है यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है।
यह उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है इसके पीछे एक कथा है जो इस प्रकार है कहाँ जाता है कि महिंसा सुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था वह ब्रम्हा जी का बहुत बड़ा भक्त था और उसने घोर तपस्या कर के ब्रह्माजी जी ऐसा वरदान मांगा की उसे कोई भी स्त्री या पुरुष यानी उसे कोई भी दुनिया का ताकत मार न सके यानी वो अमरता का वरदान चाहता था।
लेकिन ब्रह्माजी ने ऐसा नही किया उन्हीने कहा मैं ऐसा वरदान नही दे सकता तुम कुछ और मांग लो तो फिर उसका कहा मुझे ऐसा वरदान दीजिये की मेरा मृतु केवल स्त्री के हाथ ही हो अन्यथा किसी ओर के हाथ न हो उसका मानना था कि स्त्री कमजोर और शक्तिहीन होती है।
इसके बाद उसने ऐसा तबाही पृथ्वीलोक और स्वर्गलोक सभी जगह हाहाकार मचने लगा सभी देवता लोग भागने लगे और वो त्रिदेव के पास गए ब्रह्मा,विष्णु और महेश लेकिन वो तीनो खुद विवस थे इसका कोई तोड़ नही था क्योंकि ब्रह्माजी ने खुद वरदान दिया था इस लिए कोई कुछ नही सोच पा रहा था फिर सोचकर ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनो ने एक शक्ति का जन्म दिया।
जिसने नाम दिया गया दुर्गा ओर वही दुर्गा महिंसासुर ओर सुम्भ निसुम्भ दोनों का वध किया फिर से देवो का स्वर्गलोक पर सासन हुआ उसी के बाद सभी लोग दुर्गा माता की पूजा होने लगी पर्व मनाने का समय जब श्री राम ने रावण से युद्ध से समय महादेव ओर माता दुर्गा की आशिर्वाद की जरूरत थी क्योकि महादेव का आशिर्वाद महादेव के साथ था रावण से विजय होने लोए भगवान राम ने माता दुर्गा की पूजा की थी।
क्यों मनाया जाता है?
साल में कुछ ऐसे पर्व आते हैं जो हमारे जीवन में नवचेतना का संचार कर जाते हैं इन पर्वो को मनाकर हम नई स्फूर्ति से भर उठते हैं मन में नई आशा की किरणें जाग उठती हैं ऐसे ही एक पर्व का नाम है दुर्गापूजा है दुर्गापूजा को दशहरा, विजयादशमी और नवरात्रपूजा के नाम से भी जाना जाता है यह हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है।
यह उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है इसके पीछे एक कथा है जो इस प्रकार है कहाँ जाता है कि महिंसा सुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था वह ब्रम्हा जी का बहुत बड़ा भक्त था और उसने घोर तपस्या कर के ब्रह्माजी जी ऐसा वरदान मांगा की उसे कोई भी स्त्री या पुरुष यानी उसे कोई भी दुनिया का ताकत मार न सके यानी वो अमरता का वरदान चाहता था।
लेकिन ब्रह्माजी ने ऐसा नही किया उन्हीने कहा मैं ऐसा वरदान नही दे सकता तुम कुछ और मांग लो तो फिर उसका कहा मुझे ऐसा वरदान दीजिये की मेरा मृतु केवल स्त्री के हाथ ही हो अन्यथा किसी ओर के हाथ न हो उसका मानना था कि स्त्री कमजोर और शक्तिहीन होती है।
इसके बाद उसने ऐसा तबाही पृथ्वीलोक और स्वर्गलोक सभी जगह हाहाकार मचने लगा सभी देवता लोग भागने लगे और वो त्रिदेव के पास गए ब्रह्मा,विष्णु और महेश लेकिन वो तीनो खुद विवस थे इसका कोई तोड़ नही था क्योंकि ब्रह्माजी ने खुद वरदान दिया था इस लिए कोई कुछ नही सोच पा रहा था फिर सोचकर ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनो ने एक शक्ति का जन्म दिया।
जिसने नाम दिया गया दुर्गा ओर वही दुर्गा महिंसासुर ओर सुम्भ निसुम्भ दोनों का वध किया फिर से देवो का स्वर्गलोक पर सासन हुआ उसी के बाद सभी लोग दुर्गा माता की पूजा होने लगी पर्व मनाने का समय जब श्री राम ने रावण से युद्ध से समय महादेव ओर माता दुर्गा की आशिर्वाद की जरूरत थी क्योकि महादेव का आशिर्वाद महादेव के साथ था रावण से विजय होने लोए भगवान राम ने माता दुर्गा की पूजा की थी।
सामाजिक महत्व एवं उपसंहार
दुर्गा पुर्जा का सामाजिक महत्व भी है वर्षाऋतु की सम्पति के बाद से वाणिज्य-व्यापार की उन्नति होती लोग जहाँ-तहां भ्रमण करने निकलते है इस समय देश की जलवायु अच्छी रहती है नई-नई फासले और हरी सब्जियां खाने को मिलती हिया खाना अच्छा से तथा आसानी से पचता है सबका स्वास्थ्य ठीक रहता है इस प्रकार दुर्गा पूजा भारतीय जीवन के लिए सुख, शांति और उन्नति का सन्देश लेकर आती है।
दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन – Durga Puja Essay 10 Line
- दुर्गा पूजा भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
- इस त्यौहार को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्यौहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में दश दिन तक मनाया जाता है।
- मां दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय प्राप्त करने के कारण हम दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाते है।
- इस असवर पर हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते है।
- दुर्गा पूजा के पवित्र अवसर पर जगह-जगह पर माँ दुर्गा के बड़े बड़े पंडाल मनाये जाते है और बड़े ही प्रेम से सजाये जाते है।
- भक्त जन मां दुर्गा का व्रत रखकर जागरण और पूजन कार्यो का आयोजित करते है।
- दुर्गा पूजा भारत में स्त्रियों के सम्मान और देवी की शक्ति को दर्शाता है।
- दुर्गोत्सव के पर्व में दसवें दिन दशहरा या विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है।
- हम दुर्गा पूजा को अच्छाई पर बुराई के जीत के उपलक्ष में मनाते है।
दुर्गा पूजा कब बनाया जाता है?
इस पर्व में नवरात्रपूजा का विधान है इस पूजा में दस दिनों का अनुष्ठान होता है आश्विन के शुक्लपक्ष प्रतिपदा के दिन कलश-स्थापन होता है और उसी दिन से पूजा आरंभ हो जाती है प्रतिपदा से नवमी तक दुर्गासप्तशती का पाठ किया जाता है और दशमी को पूजा की पूर्णाहुति होती है
विजयादशमी का यह दिन बड़ा ही शुभ माना जाता है लोग नाच, गान, संगीत और नाटक का दिल खोलकर आनंद लेते हैं सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं एवं बाहर घूमने लगते हैं दुर्गापूजा हिंदुओं का एक बड़ा ही प्रसिद्ध और पवित्र पर्व है।
2023 में दुर्गा पूजा कब है? – Durga Puja 2023 Date
अब आप दुर्गा पर निबंध पढने के बाद आपके मन में सवा आ रहा होगा की 2023 में दुर्गा महा नवमी या दुर्गा पूजा कब है 2023 की तारीख व मुहूर्त महानवमी दुर्गा पूजा का तीसरा और अंतिम दिन होता है इस दिन की आरम्भ भी महास्नान और षोडशोपचार पूजा से होती है महानवमी पर देवी दुर्गा की आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है
इसका मतलब है असुर महिषासुर का नाश करने वाली मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन और दुर्गा बलिदान जैसी परंपरा निभाई जाती है। 2023 में दुर्गा पूजा अक्टूबर 15, 2023 को 16:39:33 से नवमी आरम्भ है और अक्टूबर 24, 2023 को 14:22:52 पर नवमी समाप्त हो जाएगी।
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