आज इस लेख में हम आपको जलियांवाला बाग हत्याकांड पर निबंध, इतिहास, कहानी, कब हुआ था, किसने किया था, कहां हुआ था, (Jallianwala Bagh History in Hindi) इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराये है। जलियाँवाला बाग हत्याकांड की ये कहानी इतिहास के उस काले दिन कि है जिसमे बेगुनाह महिलाओ, बच्चो पर गोलिया चलाई गई थी।
जलियावाला बाग हत्याकांड ने ब्रिटिशों के अमान्य चेहरे को सामने ला दिया था। ब्रिटिश सैनिकों ने एक हो रहे जन सभा मे भारत के अलग-अलग हिस्से से वह लोग पहुंचे हुए। हजारो कि संख्या में लोगो पर बिना किसी चेतवानी के जेनरल टायर के आदेश पर गोलियों की बारिश होने लगी क्योंकि वे प्रतिबंद के बावजूद जन सभा कर रहे थे।
इस हत्याकांड में हंस राज नामक भारतीय ने जेनरल टायर का मदद किया था। दोस्तो यह घटना बड़ी ही विचित्र थी। अगर आप एक भारतीय है तो आपको जरूर मालूम होनी चाहिए कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कहां हुआ था। आइये इसके बारे में पूरी जानकारी जानते है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड – Jallianwala Bagh History in Hindi
घटना का नाम | जालियांवाला बाग हत्याकांड |
घटना कहां हुई थी | अमृतसर, पंजाब, भारत |
घटना का तारिक | 13 अप्रैल 1919 |
अपराधी | ब्रिटीश भारतीय सैनिक और डायर |
जान किसकी गई | 370 से ज्यादा |
घायल लोगो की संख्या | 1000 से ज्यादा |
जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था?
जलियाँवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था। यह हत्या कांड ने ब्रिटिशो के चेहरे को सामने ला दिया था। ब्रिटिश सैनिको ने बंद मैदान में एक हो रही जनसभा में एकत्रित निहथि भीड़ पर बिना किसी चेतावनी के जेनरल टायर के आदेश पर गोली चला दी क्योकि वे माना करने के बावजूद जनसभा कर रहे थे। इस घटना में हंसराज नाम का एक भारतीय ने जेनरल डायर का सहयोग किया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड कहाँ हुआ था?
जलियावाला बाग अमृतसर का स्वर्णमंदिर से लगभग 1.500 km के दुरी पर है। इस दिन नरसंघार हुआ था। जिम 370 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। जिनमें छोटे बच्चे तथा महिलाएं भी शामिल थे। इसमे 1000 लोगों की हत्या हुई थी और 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने केवल 370 के करीब लोगों की मौत होने की पुष्टि की थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में बनी स्मारक
जलियांवाला बाग में मारे गए लोगों की याद में 1920 में स्मारक बनाया गया जिसमे एक ट्रस्ट की स्थापना की गई थी और इस जगह को खरीद लिया गया था। जलियांवाला बाग पर एक समय में राजा जसवंत सिंह के एक वकील का आधिकार हुआ करता था।
वहीं साल 1919 के समय इस जगह पर करीब तीस लोगों का अधिकार था। इस जगह को साल 1923 में इन लोगों से करीब 5,65,000 रुपए में खरीदा लिया गया था। इस स्मारक को बनाने में करीब 9 लाख रुपए का खर्चा आया था और इस स्मारक को “अग्नि की लौ” के नाम से जाना जाता है।
जलियांवाला बाग आज के समय में एक पर्यटक स्थल बन गया है और हर रोज हजारों की संख्या में लोग इस स्थल पर आते हैं। इस स्थल पर अभी भी साल 1919 की घटना से जुड़ी कई यादें मौजूद हैं।
इस स्थल पर बनी एक दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान हैं जिनको डायर के आदेश पर उनके सैनिकों ने चलाया था। इसके अलावा इस स्थल पर वो कुआं भी मौजूद है जिसमें महिलाओं और बच्चों ने कूद कर अपनी जान दे दी थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में आज भी है गोलियाँ के निशान
आपको बता दे कि जलियाँवाला बाग में बनी एक दीवार पर आज भी उन गोलियों के निशान हैं जिनको डायर के आदेश पर उनके सैनिकों ने चलाया था। इसके अलावा इस स्थल पर वो कुआं भी मौजूद है जिसमें महिलाओं और बच्चों ने कूद कर अपनी जान दे दी थी।
आज भी इस हत्याकांड को दुनिया भर में हुए सबसे बुरे नरसंहार में गिना जाता है। इस साल यानी 2018 में, इस हत्याकांड को हुए 100 साल होने वाले हैं। लेकिन अभी भी इस हत्याकांड का दुख उतना ही है। जितना 99 साल पहले था वहीं इस स्थल पर जाकर हर साल 13 अप्रैल के दिन उन लोगों की श्रद्धांजलि दी जाती है। जिन्होंने अपनी जान इस हत्याकांड में गवाई थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के इतिहास
जलियांवाला बाग में एकत्रित भीड़ में 2 नेताओ, सत्यपाल और डॉक्टर सैफुद्दीन कि गिरफ़्तारी का विरोध कर जन सभा कर रहे थे। अचानक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी जेनरल डायर ने अपनी सेना को निर्दोष भीड़ पर बिना कुछ बोले गोली चलाने का आदेश दे दिए और 10 मिनट तक गोलिया तब तक चलती रही जब तक गोलिया ख़त्म नहीं हुई माना जाता है कि लगभग 1000 लोग मारे गए और 1500 लोग घायल हो गए।
उस दिन दिन जो गोलिया चली थी उस गोलियों के निसान आज देखी जा सकती है। जिसे अब उस बाग को रास्ट्रीय स्मारक घोसित कर दिया गया है। जो ये नर संघार पूर्व नियोजित था और जेनरल डायर ने गर्भ के साथ घोषित किया कि उसने सबक सीखने के लिए किया था और वे लोग सभा जारी रखते तो उन सब को वो मार डालता।
उसे अपने किये पर कोई भी शर्ममिन्दिगी नहीं हुई जब वो इंग्लॅण्ड गया। वहां पर अंग्रेजो में उसका स्वागत के लिए चंदा इक्कठा किया। जब कि कुछ अन्य तैयार किया और दूसरे सैनिक टायर के यह काम देखकर आस्चर्य चकित थे और उन्होंने जांच कि मांग कि और ब्रिटिश अख़बार में इसे आधुनिक इतिहास का सबसे ज्यादा खून-खराबे वाला नर संघार कहा था।
21 वर्ष बाद 13 मार्च 1940 को एक क्रन्तिकारी उधम सिंह में जेनरल डायर को गोली मारकर हत्या कर दी। क्योकि जलियावाला बाग हत्या कांड कि घटना के समय वह पंजाब का गवर्नर था नरसंघार ने भारतीय लोगो में गुस्सा भर दिया। जिसे दबाने के लिए सरकार को पुनः परवार्ता का सहारा लेना पड़ा और पंजाब के लोगो पर अत्याचार किये गए।
उन्हें खुले पिजरों में रखा गया और उनपर कोड़े बरसाये गए। अखबारों पर प्रतिबन्ध लगा दिए गए और उनके सम्पादको को या तो जेल में डाल दिए गए या फिर उन्हें देश से निकाल दिया गया एक आतंक का साम्राज्य जैसा कि 1857 के विद्रोह के दमन के दौरान पैदा हुआ था। चारो तरफ फैला हुआ था। रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजो द्वारा प्रदान कि गई नाइटहुड कि उपाधि वापस कर दिए।
ये नर संघार भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ दिसम्बर 1919 में अमृतसर में कांग्रेस का अधिवेसन हुआ। इसमें किसानो सहित बड़ी संख्या में लोगो ने भाग लिया यह स्पस्ट है कि यह नरसंघार ने आग में घी का काम किया और लोगो में दमन के विरोध स्वतंत्रता के प्रति इक्छा शक्ति को और प्रबल कर दिया।
FAQ
Q : जालियांवाला बाग़ कहां स्थित है?
Ans : अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के नजदीक
Q : जलियांवाला बाग़ हत्याकांड क्या है ?
Ans : देश की आजादी से वैशाखी के दिन जलियांवाला बाग़ पर हजारों निर्दोष लोगों की हत्या की गई, उसे ही जालियांवाला बाग़ हत्याकांड के नाम जाता है।
Q : जालियांवाला बाग़ हत्याकांड कब हुआ ?
Ans : 13 अप्रैल 1919
Q : जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का जिम्मेदार कौन था ?
Ans : गेडियर जनरल आर.ई.एच डायर
Q : जालियांवाला बाग़ हत्याकांड में कितने लोग मारे गए ?
Ans : लगभग 1 हजार लोग
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